वास्तविक न्यूज़ / Education Analysis
जिन हाथों में कल स्टेथोस्कोप होना चाहिए, वे आज मोबाइल पर “पेपर लीक” सर्च कर रहे हैं। यही हकीकत है NEET-UG 2025 की तैयारी में जुटे लाखों छात्रों की, जो इन दिनों अफवाहों और साइबर ठगी के दोहरे दबाव से जूझ रहे हैं।
पेपर लीक की अफवाहें—एक परीक्षा से पहले की स्थायी चिंता
हर साल जैसे ही NEET-UG की तारीख नज़दीक आती है, इंटरनेट पर अफवाहों की बाढ़ आ जाती है—”पेपर लीक हो गया”, “10 लाख में मिल रहा है असली पेपर”, आदि। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। टेलीग्राम, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी स्क्रीनशॉट्स और चैट्स वायरल हुए। कई छात्र मानसिक तनाव में आ गए, कई अभिभावकों ने पैसे देने पर भी विचार किया।
लेकिन इस बार सिस्टम भी उतना ही तेज निकला।
राजस्थान SOG की डिकॉय कार्रवाई में तीन ठग पकड़े गए, जो खुद को “इनसाइडर” बताकर छात्रों को लूट रहे थे। जांच में साफ हुआ कि न कोई पेपर लीक हुआ था, न कोई अंदरूनी संपर्क था—यह महज़ छात्रों की मेहनत और उम्मीदों से खेलने का काला कारोबार था।
NTA का स्टैंड—”सुनें केवल आधिकारिक स्रोत”
NTA ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए साफ किया कि परीक्षा प्रणाली पूरी तरह से सुरक्षित और निगरानी में है। साथ ही छात्रों से अपील की गई कि वे किसी भी अफवाह या अनाधिकृत सूचना पर विश्वास न करें।
पिछली घटनाएं और सरकार की तैयारी
2024 में झारखंड की एक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जब वास्तव में एक परीक्षा पेपर लीक हुआ था। उसके बाद NTA और शिक्षा मंत्रालय ने मिलकर सुरक्षा की नई परतें जोड़ीं—जैसे डिजिटल पेपर कोडिंग, ट्रैकिंग सिस्टम, सेंटर लेवल एन्क्रिप्शन इत्यादि। 2025 की परीक्षा इन्हीं नई व्यवस्थाओं के बीच हो रही है।
छात्रों के लिए संदेश—भरोसा रखें, भ्रम में न आएं
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे बड़ा संदेश यही है कि छात्र हर साल फर्जीवाड़े का पहला निशाना बनते हैं। उन्हें अपनी मेहनत पर विश्वास करना चाहिए, न कि ऐसे लोगों पर जो शॉर्टकट बेचने का झांसा देते हैं। शॉर्टकट कभी मंज़िल नहीं दिलाते।
निष्कर्ष:
NEET-UG जैसी परीक्षा अब सिर्फ एक शैक्षणिक चुनौती नहीं रही, यह अब भरोसे और सिस्टम की ताक़त की भी परीक्षा बन चुकी है। इस बार अफवाहें भले चली हों, लेकिन अफसरशाही और तंत्र की सजगता ने यह दिखा दिया कि भारत अब केवल परीक्षा नहीं लेता—उसकी रक्षा भी करता है।







